चेस्ट और शोल्डर वर्कआउट अपर बॉडी ट्रेनिंग की नींव होते हैं, ये स्ट्रेंथ, साइज़ और मसल ग्रुप को डिफाइन करने में मदद करते हैं। महत्वपूर्ण चेस्ट और शोल्डर एक्सरसाइज़ जैसे बेंच प्रेस, पेक्टोरल मसल को लक्षित करती हैं। साथ ही चेस्ट के विकास में मदद करती हैं। ये लक्षित मसल एक्सरसाइज़ फंक्शनल मूवमेंट और प्रतिदिन की गतिविधियों और स्पोर्ट्स में स्थिरता लाने में मदद करती हैं। तो चलिए आपके फिटनेस लेवल को बढ़ाने के लिए सबसे अच्छा चेस्ट और शोल्डर वर्कआउट के बारे में विस्तार से जानते हैं।
विषय सूची
- क्या शोल्डर और चेस्ट वर्कआउट एक साथ कर सकते हैं? बेस्ट चेस्ट और शोल्डर वर्कआउट एक्सरसाइज़ेस
- किन मसल ग्रुप की एक साथ एक्सरसाइज़ करना चाहिए?
- विशेषज्ञ की सलाह
- निष्कर्ष
- सामान्य प्रश्न
- संदर्भ
क्या शोल्डर और चेस्ट वर्कआउट एक साथ कर सकते हैं? बेस्ट चेस्ट और शोल्डर वर्कआउट एक्सरसाइज़ेस
आप अपने चेस्ट और कंधों का एक साथ व्यायाम कर सकते हैं, जिसे अक्सर प्रभावी मसल्स के निर्माण के लिए रिकमेंड किया जाता है। यहां जानें चेस्ट और शोल्डर वर्कआउट को क्यों और कैसे स्ट्रक्चर करना चाहिए:
- चेस्ट एक्सरसाइज़ से शुरुआत करें: चेस्ट एक्सरसाइज़ से शुरुआत करें क्योंकि ये कंपाउंड मूवमेंट हैं, जो कंधों के साथ कई मसल्स को शामिल करती है। चेस्ट का वर्कआउट पहले करने से आप सुनिश्चित करते हैं कि आप भारी वज़न उठाएं और अपना बेस्ट दें। इस एक्सरसाइज़ में शोल्डर का भी वॉर्मअप हो जाता है, जिससे शोल्डर एक्सरसाइज़ में आसानी होती है।
- शोल्डर एक्सरसाइज़ के साथ आगे बढ़ें: चेस्ट वर्कआउट पूरा करने के बाद शोल्डर एक्सरसाइज़ करें। चेस्ट वर्कआउट में ही आपके शोल्डर की कुछ मांसपेशियों की आधी ट्रेनिंग हो जाती है, बाद में इसे करने से आपको ज़्यादा परिश्रम नहीं करना पड़ता है।
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तो आइए चेस्ट और शोल्डर के कुछ बेहतरीन व्यायामों पर एक नज़र डालते हैं:
1. पुशिंग एक्सरसाइज़ (पुश-अप्स)
पुशिंग एक्सरसाइज़ जैसे पुश-अप्स और बेंच प्रेस, चेस्ट, शोल्डर और ट्राइसेप्स को लक्षित करते हैं। इन मसल्स की स्ट्रेंथ को संतुलित करने से अपर बॉडी की स्ट्रेंथ में सुधार आता है, मसल की सहनशक्ति बढ़ती है और पोस्चर सुधरता है।
स्टेप्स:
1. अपने हाथों को कंधों से थोड़े चौड़े रखते हुए प्लैंक पोज़ीशन से शुरुआत करें।
2. अपने शरीर को तब तक नीचे की ओर झुकाएं जब तक आपका चेस्ट धरती को छूता नहीं।
3. अब अपने शरीर को सीधा रखते हुए वापस अपनी शुरुआती पोज़ीशन के लिए ऊपर उठें।
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2. पुलिंग एक्सरसाइज़ (पुल-अप्स)
पुलिंग एक्सरसाइज़ में पुल-अप्स या रो शामिल हैं जो बाइसेप्स और फोरआर्म को लक्षित करते हैं। शरीर के आगे और पीछे की ताकत को बैलेंस करके, ये एक्सरसाइज़ एक मजबूत और स्थिर अपर बॉडी विकसित करने, अच्छे पोस्चर को बढ़ावा देने और इंजरी को रोकने के लिए महत्वपूर्ण है।
स्टेप्स:
1. पुल अप बार को अपने हाथों से अच्छी तरह पकड़ें। आपके हाँथ कंधों से ज़्यादा चौड़ाई पर होने चाहिए।
2. अपने हाथों पर लटक जाएं।
3. अब अपने शरीर को ऊपर की ओर खीचें जब तक आप चिन बार से ऊपर नहीं होती तब तक खुद को ऊपर खींचें।
4. अब वापस ओरिजिनल पोज़ीशन में जाने के लिए नीचे की ओर उतरें। इस एक्सरसाइज़ को दोबारा रिपीट करें।
3. स्क्वॉटिंग एक्सरसाईज़ (स्क्वाट्स)
स्क्वॉटिंग एक्सरसाइज़ेस जैसे बॉडीवेट स्क्वॉट्स और बारबेल स्क्वाट्स, आपकी लोअर बॉडी को इंगेज करते हैं। इसके साथ ही ये एक्सरसाइज़ क्वाड्रिसेप्स, हैमस्ट्रिंग मसल, ग्लूट और काफ़ के लिए महत्वपूर्ण है। स्वाट्स लेग स्ट्रेंथ को सुधारते हैं, कोर स्टेबिलिटी को बढ़ाते हैं और बॉडी बैलेंस को बढ़ाते हैं।
स्टेप्स:
1. पैरों को कंधे की चौड़ाई की दूरी पर रखकर खड़े हो जाएं, पैर की उंगलियां थोड़ी बाहर की ओर हों।
2. बारबेल को अपने पीठ के पीछे पकड़े या डंबल को अपने साइड में पकड़ें।
3. घुटनों को मोड़ते हुए अपने शरीर को नीचे की ओर ले जाएं। अपने चेस्ट और पीठ को सीधा रखें।
4. तब तक कंटिन्यू करें जब तक आपकी जांघें ज़मीन के समानांतर नहीं हो जाती हैं।
5. अपनी एड़ियों के ज़रिये खुद को वापस ऊपर की ओर धकेलें और अपनी शुरुआती पोज़ीशन में पहुंच जाएं।
4. हिंजिंग (डेडलिफ्ट)
हिंजिंग एक्सरसाइज, जैसे डेडलिफ्ट और केटलबेल स्विंग पोस्टीरियर चेन जैसे लोअर बैक मसल्स, ग्लूट और हेमस्ट्रिंग को लक्षित करती हैं। ये गतिविधि कोर स्टेबिलिटी को बढ़ाती हैं, शरीर के पोस्चर को सुधारती हैं और पावरफुल हिप ड्राइव को विकसित करती हैं।
स्टेप्स:
1. पैरों को हिप-विड्थ से अलग करके खड़े रहें, अपने पैरों के बीच में बारबेल रखें।
2. हाथों को कंधे की चौड़ाई की दूरी पर रखते हुए बारबेल को पकड़ने के लिए हिप्स और दोनों घुटनों को मोड़ें।
3. अपनी पीठ को सीधा रखें, चेस्ट को ऊपर रखें और कंधों को पीछे रखें।
4. अपने हिप्स और घुटनों को सीधा रखते हुए बारबेल को उठाएं।
5. हिप्स और घुटनों पर झुकते हुए बारबेल को फिर से पहले की स्थिति में लाएं।
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किन मसल ग्रुप की एक साथ एक्सरसाइज़ करना चाहिए?
दिन के एक ही समय में प्रमुख मसल ग्रुप को ट्रेन करना बॉडीबिल्डरों के लिए एक स्मार्ट स्ट्रेटजी हो सकती है, क्योंकि क्लासिक ट्रेनिंग स्प्लिट प्रत्येक मांसपेशी समूह के ट्रेनिंग वॉल्यूम और एक्सरसाइज़ वैरिएशन को अधिकतम करने में मदद करता है।
मसल ग्रुप | फायदे | टिप्स |
चेस्ट और शोल्डर | चेस्ट और शोल्डर की ट्रेनिंग अपर बॉडी की स्ट्रेंथ और मास को प्रभावी रूप से बिल्ड करती है। ये मसल ग्रुप को अक्सर कंपाउंड एक्सरसाइज़ के दौरान शामिल किया जाता है, जिससे उन्हें एक ही दिन में ट्रेन करना आइडियल हो जाता है। | कंपाउंड मूवमेंट्स जैसे बेंच प्रेस से शुरुआत करें। |
बैक और आर्म्स | बैक और आर्म्स को जोड़ने से अपर बॉडी के व्यापक वर्कआउट की अनुमति मिलती है। रो और पुल-अप्स जैसे पीठ के व्यायाम भी बाइसेप्स को इंगेज करते हैं, जिससे बाद में आर्म्स को ट्रेन करना कुशल हो जाता है। | बाइसेप कर्ल्स और ट्राइसेप्स एक्स्टेंशन के साथ आगे बढ़ें। बैलेंस्ड डेवलपमेंट के लिए आइसोलेशन मूवमेंट और कंपाउंड दोनों का उपयोग करें। |
लेग्स और एब्डोमेन | लेग्स और एब्डोमेन को एक साथ ट्रेन करके आप लोअर बॉडी और कोर मसल्स को लक्षित कर सकते हैं। साथ ही संपूर्ण स्थिरता और स्ट्रेंथ को बढ़ावा दे सकते हैं। | कंपाउंड लेग एक्सरसाइज़ जैसे स्क्वाट्स और लंजिस को पहले करें। साथ में एब्डोमेन एक्सरसाइज़ जैसे प्लैंक और क्रंचेज़ को भी शामिल करें। |
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विशेषज्ञ की सलाह
इस बारे में चिंता करने की कोई ज़रूरत नहीं है कि किन मांसपेशी समूहों को एक साथ काम करना है या ज़रूरत से ज़्यादा सख्त शेड्यूल का पालन करना है। यदि आप वास्तव में अपने एक्सरसाइज़ प्रोग्राम की प्रभावशीलता को अधिकतम करना चाहते हैं, तो आपको दो ट्रेनिंग स्प्लिट्स चुनना चाहिए और उन्हें सप्ताह-दर-सप्ताह वैकल्पिक करना चाहिए।
हेल्थ एक्सपर्ट
लवीना चौहान
निष्कर्ष
अंत में, आज हमारे द्वारा साझा की गई कंपाउंड एक्सरसाज़ेस के माध्यम से अपने चेस्ट और शोल्डर को एक साथ काम करने से आपको उचित आकार और ताकत बनाने में मदद मिलेगी और यह सुनिश्चित होगा कि आप लेटरल और रिअर डेल्टॉइड को भी स्टिम्यूलेट कर रहे हैं, कंधे के वे हिस्से जो जरूरी नहीं हैं चेस्ट के अन्य व्यायामों में शामिल।
सामान्य प्रश्न
1. डंबल की मदद से चेस्ट और शोल्डर वर्कआउट कैसे करें?
इसे करने के लिए आपको डंबल बेंच प्रेस, डंबल फ्लाई, शोल्डर प्रेस और लेटरल रेज़ करना होगा। एक्सरसाइज़ करने के लिए सही फॉर्म को न्यूट्रल स्पाइन नियंत्रित करना ज़रूरी है। बाद में धीर-धीरे वेट का साइज़ बढ़ाते जाएं जिससे स्ट्रेंथ बिल्ड होगी।
2. क्या चेस्ट और शोल्डर वर्कआउट को एक ही दिन कर सकते हैं?
हां, चेस्ट और शोल्डर वर्कआउट को एक ही दिन कर सकते हैं। इन मांसपेशी समूहों को एक सेशन में कंबाइन करना एफिशिएंट हो सकता है, क्योंकि कई व्यायाम स्वाभाविक रूप से दोनों क्षेत्रों को शामिल करते हैं। हालांकि, पर्याप्त रिकवरी टाइम सुनिश्चित करने और ओवरट्रेनिंग से बचने के लिए लगातार दिनों में समान मसल्स पर काम करने से बचें।
3. चेस्ट और शोल्डर एक्सरसाइज़ के सर्वोत्तम परिणाम कैसे पाएं?
छाती और कंधों के व्यायाम से सर्वोत्तम परिणाम पाने के लिए सही फॉर्म पर फोकस करें, प्रोग्रेसिव रूप से वेट बढ़ाएं।
संदर्भ
- https://www.barbellmedicine.com/blog/best-chest-and-shoulder-workout/
- https://www.menshealth.com/uk/building-muscle/a750068/which-muscle-groups-should-i-work-out-on-the-same-day/
- https://fitbod.me/blog/best-chest-and-shoulder-workout/
- https://powerliftingtechnique.com/shoulders-and-back-workout/
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