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डायनेमिक स्ट्रेचिंग और स्टैटिक स्ट्रेचिंग के बीच 8 अंतर को जानें!

Vishalakshi Panthi

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Published on : 06-Sept-2024

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डायनेमिक स्ट्रेचिंग और स्टैटिक स्ट्रेचिंग के बीच 8 अंतर को जानें!

स्ट्रेटचिंग अपने आप में एक बहुत कारतगार एक्सरसाइज है जो आपकी मसल्स को स्ट्रेच और रिलैक्स करती है साथ ही जॉइंट्स को फ्लेक्सिबल बनाती है। लेकिन वर्कआउट के पहले स्ट्रेचिंग करना वर्कआउट के बेहतर रसूलत और सुरक्षा के लिए ज़रूरी है। प्रोपर स्ट्रेचिंग से आपकी मांसपेशियों और टेंडन्स फ्लेक्सिबिलिटी बढ़ती है, मोबिलिटी में सुधार होता है और चोट लगने की संभावना कम होती है। आमतौर पर स्ट्रेचिंग के 2 प्रकार होते हैं डायनेमिक और स्टैटिक स्ट्रेचिंग।  

 

डायनेमिक स्ट्रेचिंग वर्कआउट से पहले की जाती है, जिसमें शरीर को एक्टिव मूवमेंट्स के साथ तैयार किया जाता है। इसमें मांसपेशियों को गति में लाया जाता है, जिससे रक्त प्रवाह बढ़ता है और बॉडी वॉर्मअप होती है। उदाहरण के तौर पर लेग स्विंग्स, आर्म सर्कल्स और हाई नीज। 

 

वहीं स्टैटिक स्ट्रेचिंग वर्कआउट के बाद की जाती है, जिसमें किसी एक पोजिशन में शरीर की मांसपेशियों को खींच कर कुछ समय तक पकड़ा जाता है। इसका उद्देश्य मांसपेशियों को रिलैक्स करना और फ्लेक्सिबिलिटी बढ़ाना होता है। उदाहरण के लिए हमस्ट्रिंग स्ट्रेच, ट्राइसेप्स स्ट्रेच और क्वाड स्ट्रेच।

 

जबकि डायनेमिक स्ट्रेच आपको एक्टिविटी के लिए तैयार करते हैं, स्टैटिक स्ट्रेच आपको आराम करने और ठीक होने में मदद करते हैं। आइए जानें कि फ्लेक्सिबिलिटी में सुधार, चोट की संभावना को रोकने और परफॉर्मेंस को सुधारने के लिए आपके लिए डायनेमिक स्ट्रेचिंग और स्टैटिक स्ट्रेचिंग में क्या सही है।

 

विषय सूची

1. डायनेमिक और स्टैटिक स्ट्रेचिंग के बीच क्या अंतर है?

2. डायनेमिक स्ट्रेचिंग का उदाहरण क्या है?

3. स्टैटिक स्ट्रेचिंग बेहतर क्यों है?

4. विशेषज्ञ की सलाह

5. निष्कर्ष

6. सामान्य प्रश्न

7. सन्दर्भ

 

डायनेमिक और स्टैटिक स्ट्रेचिंग के बीच क्या अंतर है? 

difference between dynamic stretching vs static stretching.jpg

डायनेमिक स्ट्रेचिंग में आपके अंगों को फुल-मोशन रेंज में ले जाना शामिल है, जबकि स्टैटिक स्ट्रेचिंग का मतलब किसी विशेष क्षेत्र में मांसपेशियों को फैलाने के लिए एक विशिष्ट स्थिति बनाए रखना है। ये स्ट्रेचिंग व्यायाम हर वॉर्म-अप और कूल-डाउन सेशन का हिस्सा हैं। डायनेमिक और स्टैटिक स्ट्रेचिंग का हमारे फिटनेस रूटीन पर अलग-अलग प्रभाव पड़ता है।

 

अपने वर्कआउट टाइप के लिए उपयुक्त स्ट्रेच का चयन करने के लिए इन डायनेमिक स्ट्रेचिंग और स्टैटिक स्ट्रेचिंग के अंतरों पर ध्यान दें:

1. डायनेमिक स्ट्रेचिंग और स्टैटिक स्ट्रेचिंग का मूवमेंट

डायनेमिक स्ट्रेचिंग में निरंतर, कंट्रोल्ड मूवमेंट शामिल होता है जो आपके अंगों को मोशन की पूरी रेंज में ले जाता है। इस प्रकार की स्ट्रेचिंग एक्टिव होती है, जिसमें मांसपेशियां लगातार चलती रहती हैं, जो व्यायाम से पहले शरीर को एक्टिव करने के लिए आदर्श है। 

 

इसके विपरीत, स्टैटिक स्ट्रेचिंग में एक विशेष मसल ग्रुप को लक्षित करने के लिए एक्सपेंडेड पीरियड के लिए एक विशिष्ट पोज़ीशन में आना शामिल है। स्टैटिक स्ट्रेचिंग के दौरान, मांसपेशियां स्थिर रहती हैं, जिससे डीप और फोकस्ड स्ट्रेचिंग में मदद मिलती है।

 

2. डायनेमिक और स्टैटिक स्ट्रेचिंग का उद्देश्य

डायनेमिक स्ट्रेचिंग का उपयोग मुख्य रूप से शारीरिक गतिविधि के लिए शरीर के विभिन्न हिस्सों की मांसपेशियों को तैयार करने के लिए वॉर्म-अप रूटीन में किया जाता है। यह ब्लड फ्लो और हार्ट रेट को बढ़ाता है और मांसपेशियों को एक्टिव करता है, जिससे व्यायाम के दौरान चोट के जोखिम को कम करने में मदद मिलती है। 

 

यह भी पढ़ें: क्यों वर्कआउट के बाद Cool Down Exercise है ज़रूरी? जानिए कूल डाउन करने के तरीके और फायदे !

 

दूसरी ओर, स्टैटिक स्ट्रेचिंग को आमतौर पर वर्कआउट के बाद कूल-डाउन रूटीन में शामिल किया जाता है। यह फ्लेक्सिबिलिटी में सुधार करने, मांसपेशियों को आराम देने और धीरे-धीरे शरीर को आराम की स्थिति में लाने में मदद करता है, जिससे मांसपेशियों की रिकवरी बढ़ती है।

 

3. डायनेमिक स्ट्रेचिंग और स्टैटिक स्ट्रेचिंग की ड्युरेशन

डायनेमिक स्ट्रेचिंग में, मूवमेंट को छोटे इंटरवल के लिए किया जाता है, जिसे अक्सर सेट में रिपीट किया जाता है। प्रत्येक मूवमेंट आमतौर पर अगले पर जाने से पहले कुछ सेकंड के लिए किया जाता है। 

 

हालांकि, स्टैटिक स्ट्रेचिंग के लिए प्रत्येक स्ट्रेच को लंबे समय तक, आमतौर पर 15 से 60 सेकंड तक रोके रखने की आवश्यकता होती है। यह लंबे समय का होल्ड मांसपेशियों को धीरे-धीरे तनाव मुक्त करने में मदद करता है।

 

4. डायनेमिक और स्टैटिक स्ट्रेचिंग में मसल इंगेजमेंट

डायनेमिक स्ट्रेचिंग से मांसपेशियां एक्टिव हो जाती हैं, जिससे ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है। यह मांसपेशियों को शारीरिक गतिविधि की डिमांड के लिए तैयार करने में मदद करता है, जिससे पूरी परफॉर्मेंस सुधरती है। 

 

इसके विपरीत, स्टैटिक स्ट्रेचिंग फ्लेक्सिबिलिटी में सुधार करने पर फोकस्ड है। यह मांसपेशियों को एक्टिव मूवमेंट की आवश्यकता के बिना पूरी तरह से फैलने की अनुमति देती है, जो मांसपेशियों के आराम और रिकवरी के लिए फायदेमंद है।

 

5. डायनेमिक स्ट्रेचिंग और स्टैटिक स्ट्रेचिंग के लिए बेस्ट समय

वर्कआउट या फिज़िकल एक्टिविटी से पहले डायनेमिक स्ट्रेचिंग करना सबसे अच्छा माना जाता है। यह मांसपेशियों और जोड़ों को चलने-फिरने के लिए तैयार करने, चोट के जोखिम को कम करने और परफॉर्मेंस में सुधार करने में मदद करता है। 

 

हालांकि, वर्कआउट के बाद कूल-डाउन फेज़ के दौरान स्टैटिक स्ट्रेचिंग सबसे प्रभावी होती है। यह मांसपेशियों को आराम देने में सहायता करती है, स्टिफनेस को कम करती है और फ्लेक्सिबिलिटी को बढ़ाती है, जिससे शरीर को वर्कआउट के बाद रिकवर होने में मदद मिलती है।

 

6. डायनेमिक स्ट्रेचिंग और स्टैटिक स्ट्रेचिंग के उदाहरण

लेग स्विंग, आर्म सर्कल और वॉकिंग लंजेस डायनेमिक स्ट्रेचिंग के उदाहरण हैं। इन मूवमेंट में शरीर की सारी मासपेशियां शामिल होती हैं, जो उन्हें वॉर्मअप के लिए आदर्श बनाता है। 

 

स्टैटिक स्ट्रेचिंग के उदाहरणों में हैमस्ट्रिंग, क्वाड्रिसेप्स या पिंडली को स्ट्रेच करना शामिल है। ये स्टैटिक स्ट्रेच विशिष्ट मसल ग्रुप्स को लक्षित करते हैं, जो उन्हें व्यायाम के बाद की रिकवरी में मदद करते हैं।

 

7. डायनेमिक और स्टैटिक स्ट्रेचिंग के दौरान मांसपेशियों पर प्रभाव

डायनेमिक स्ट्रेचिंग डायनामिक फ्लेक्सिबिलिटी और मोशन की रेंज में सुधार करती है, जो उन शारीरिक गतिविधियों को करने के लिए आवश्यक है जिनके लिए क्विक और वैरीड मूवमेंट की आवश्यकता होती है। 

 

हालांकि, स्टैटिक स्ट्रेचिंग स्टैटिक फ्लेक्सिबिलिटी को बढ़ाता है, जिससे मांसपेशियां लंबी होती हैं और समय के साथ उनका स्ट्रेच बना रहता है। यह पूरी मसल्स की फ्लेक्सिबिलिटी में योगदान देता है और जकड़न और दर्द को कम करता है।

 

8. डायनेमिक और स्टैटिक स्ट्रेचिंग के बाद परफॉर्मेंस 

डायनेमिक स्ट्रेचिंग मांसपेशियों की तत्परता को बढ़ाकर और चोटों की संभावना को कम करके एथलेटिक परफॉर्मेंस में सुधार करती है। यह मसल्स को एक्शन के लिए तैयार करती है, जिससे वे शारीरिक गतिविधियों के दौरान ज़्यादा रिस्पॉन्सिव हो जाती हैं। 

 

स्टैटिक स्ट्रेचिंग मांसपेशियों की रिकवरी और रिलैक्सेशन में मदद करती है। यह मांसपेशियों की अकड़न और दर्द को कम करती है, यह सुनिश्चित करता है कि मांसपेशियां वर्कआउट के लिए लचीली और स्वस्थ रहें।

 

यह भी पढ़ें: वर्कआउट से पहले कौन से 7 वॉर्म अप व्यायाम करें? जानिए ये एक्सरसाइज़ आपके स्वास्थ्य को कैसे करेंगी प्रभावित !

 

डायनेमिक स्ट्रेचिंग का उदाहरण क्या है?

डायनामिक स्ट्रेच ए्क्टिव मूवमेंट हैं जो आपके वर्कआउट के एक्शन को मिमिक करती हैं। किसी स्ट्रेच को एक पोज़ीशन में रखने के विपरीत, डायनेमिक स्ट्रेच में निरंतर गति शामिल होती है। डायनेमिक स्ट्रेच में अपने पैरों को झुलाना, अपनी बाहों के सर्कल्स बनाना और हाई नी को शामिल किया जाता है। ये एक्टिविटीज़ ब्लड फ्लो और फ्लेक्सिबिलिटी को बढ़ाकर आपके शरीर को व्यायाम के लिए तैयार करती हैं।

 

डायनेमिक स्ट्रेचिंग के इस आर्म सर्कल उदाहरण पर एक नज़र डालें:

1. आर्म सर्कल स्टेप्स

  • अपने पैरों को कंधे की चौड़ाई की दूरी पर रखकर खड़े हो जाएं।
  • अपनी आर्म्स को कंधे की ऊंचाई पर ठीक से सीधा फैलाएं। 
  • अपनी आर्म्स से छोटे सर्कल्स बनाना शुरू करें, धीरे-धीरे र्सकल्स का आकार बढ़ाएं। 
  • लगभग 10-15 सेकंड के बाद, अपने सर्कल की दिशा उलट दें और 10-15 सेकंड के लिए जारी रखें।
     

2. आर्म सर्कल रैप्स  

  • एक दिशा में 10-15 सर्कल राउंड करें, फिर स्विच करें और दूसरी ओर 10-15 सेकंड करें। 
  • पूरी तरह वॉर्म-अप के लिए इस सर्कल को 2-3 बार दोहराएं।
     

3. आर्म सर्कल स्ट्रेच के फायदे

  • आर्म सर्कल आपके कंधों, आर्म्स और अपर बैक को ठीक से गर्म करने में मदद करते हैं। 
  • वे इन क्षेत्रों में ब्लड फ्लो को बढ़ाते हैं, कंधे के जोड़ की गतिशीलता में सुधार करते हैं, और उन मांसपेशियों को एक्टिवेट करते हैं जिनका उपयोग आप अपर बॉडी वर्कआउट में करेंगे। 
  • यह डायनेमिक स्ट्रेचिंग तैराकी, वेटलिफ्टिंग, या किसी भी स्पोर्ट जिसमें हैंड मूवमेंट शामिल है, जैसी गतिविधियों से पहले विशेष रूप से उपयोगी होता है।
     

स्टैटिक स्ट्रेचिंग बेहतर क्यों है?

स्टैटिक स्ट्रेचिंग कई मायनों में फायदेमंद है, इसलिए इसे हर फिटनेस प्रोग्राम में विशेष रूप से फ्लेक्सिबिलिटी और मांसपेशियों की रिकवरी के लिए शामिल किया जाना चाहिए। स्टैटिक स्ट्रेचिंग इन कारणों से बहुत फायदेमंद है:

 

फायदा

प्रभाव

यह कैसे मदद करता है?

फ्लेक्सिबिलिटी बढ़ती है

स्टैटिक स्ट्रेचिंग मसल फाइबर और कनेक्टिव टिशू को लंबा करके लंबे समय की फ्लेक्सिबिलिटी को बढ़ाता है।

खिंचाव बनाए रखने से प्लास्टिक डिफॉर्मेशन की अनुमति मिलती है, जिससे मांसपेशियों की लंबाई स्थायी रूप से बढ़ जाती है।

इससे मांसपेशियों में अकड़न कम हो जाती है और जोड़ों को फ्रीली मूवमेंट करने में सुविधा होती है।

मसल रिकवरी में मदद करता है

स्टैटिक स्ट्रेचिंग मेटाबॉलिक वेस्ट को खत्म करके और मांसपेशियों के तनाव को कम करके मसल रिकवरी में सहायता करती है।

व्यायाम के बाद स्ट्रेचिंग करने से लैक्टिक एसिड और अन्य वेस्ट प्रोडक्ट को हटाने में मदद मिलती है, जिससे स्टिफनेस और दर्द कम होता है।

यह शरीर के सभी हिस्सों में ब्लड सर्कुलेशन में सुधार करता है, वेस्ट प्रोडक्ट को हटाते हुए मांसपेशियों तक ऑक्सीजन और पोषक तत्व पहुंचाता है।

परफॉर्मेंस को सुधारता है

स्टैटिक स्ट्रेचिंग से लचीलेपन में सुधार से मांसपेशियों की परफॉर्मेंस बेहतर होती है और चोट लगने की संभावना कम हो जाती है।

नियमित स्टैटिक स्ट्रेचिंग मांसपेशियों और जोड़ों के फंक्शन को बढ़ाती है, जिससे तनाव, मोच और मसल टियर की संभावना कम हो जाती है।

तनाव दूर करता है

स्टैटिक स्ट्रेचिंग पैरासिम्पेथेटिक नर्वस सिस्टम को एक्टिवेट करती है, तनाव को कम करती है और रिलैक्सेशन को बढ़ावा देती है।

स्ट्रेचिंग से शरीर को आराम और पाचन में मदद मिलती है।

यह मानसिक विश्राम भी देता है, तनाव कम करता है, और एंडोर्फिन रिलीज़ को ट्रिगर करता है, जिससे मूड और एकाग्रता में सुधार होता है।

रिहैबिलिटेशन का सपोर्ट करता है

किसी चोट के बाद रिकवरी में सहायता के लिए फिज़िकल थेरेपी में आमतौर पर स्टैटिक स्ट्रेचिंग का उपयोग किया जाता है।

स्ट्रेचिंग प्रभावित मांसपेशियों और जोड़ों में गति, स्थिरता और कार्य की सीमा को धीरे-धीरे बेहतर बनाने में मदद करती है और रिहैबिलिटेशन में सहायता करती है।

 

विशेषज्ञ की सलाह

मैं ज़्यादा लाभ के लिए अपने फिटनेस रूटीन में डायनेमिक और स्टैटिक स्ट्रेचिंग को शामिल करने की सलाह देती हूं। डायनेमिक स्ट्रेचिंग, अपने एक्टिव मूवमेंट के साथ, आपके शरीर को एक्टिव करती है, परफॉर्मेंस को सुधारती है और चोट के जोखिम को कम करती है। स्टैटिक स्ट्रेचिंग, जहां आप एक पोज़ीशन रखते हैं, फ्लेक्सिबिलिटी में सुधार करती है, मांसपेशियों की रिकवरी में सहायता करती है और तनाव कम करती है। इन गतिविधियों का सपोर्ट करने के लिए, अपनी मांसपेशियों को अच्छी तरह से काम करने के लिए हाइड्रेटेड रहें, और मसल रिपेयरिंग और पूरे स्वास्थ्य के लिए लीन प्रोटीन, साबुत अनाज, फल और सब्ज़ियों के साथ संतुलित आहार खाएं।

 

                                                                 स्वास्थ्य विशेषज्ञ 
अदिति उपाध्याय

 

निष्कर्ष

किसी भी व्यक्ति के स्वास्थ्य और फिटनेस के स्तर को बेहतर बनाने में डायनेमिक और स्टैटिक स्ट्रेचिंग के अपने-अपने फायदे हैं। डायनेमिक स्ट्रेचिंग एक्टिव मूवमेंट, हृदय गति को बढ़ाने और मांसपेशियों में खिंचाव और जोड़ों के कनेक्शन का परिणाम है। इस बीच, स्टैटिक स्ट्रेचिंग कुछ समय के लिए खिंचाव बनाए रखती है, जिससे मांसपेशियों की रिकवरी में मदद मिलती है और तनाव से लड़ती है। इस तरह, वर्कआउट सेशन से पहले और बाद में स्ट्रेचिंग रूटीन से परफॉर्मेंस में सुधार होता है। इसलिए, चोटों को रोकने और जल्दी स्वस्थ होने के लिए अपने लचीलेपन में सुधार करने के लिए डायनेमिक और स्थिर स्ट्रेचिंग ज़रूर करें।

 

सामान्य प्रश्न

1. वर्कआउट से पहले डायनेमिक स्ट्रेचिंग और स्टैटिक स्ट्रेचिंग के क्या फायदे हैं?

आमतौर पर वर्कआउट से पहले डायनेमिक स्ट्रेचिंग की सलाह दी जाती है। यह ब्लड फ्लो, हृदय गति और मांसपेशियों के तापमान को बढ़ाता है, शरीर को शारीरिक गतिविधि के लिए तैयार करता है। व्यायाम से पहले स्टैटिक स्ट्रेचिंग परफॉर्मेंस में बाधा डाल सकती है।

 

2. वर्कआउट के बाद स्टैटिक स्ट्रेचिंग के क्या फायदे हैं?

वर्कआउट के बाद कूल डाउन होने, लचीलेपन को बढ़ाने और मांसपेशियों के दर्द को कम करने के लिए अक्सर स्टैटिक स्ट्रेचिंग को प्राथमिकता दी जाती है। 
 

संदर्भ

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